Happy seeder mashin: हैप्पी सीडर कैसे करता है काम और कितना करता है किसानों का फायदा?
Happy seeder: हैप्पी सीडर कैसे करता है काम और कितना करता है किसानों का फायदा?
धान और गेहूं की खेती करने वाले किसानों के लिए यह खबर किसी वरदान से कम नहीं। धान की कटाई के बाद गेहूं की बुवाई के लिए अब खेत तैयार करने की चिंता से किसानों को छुटकारा मिलने वाला है। इससे न केवल सिंचाई की आवश्यकता कम होगी, बल्कि पराली जलाने की समस्या भी खत्म हो जाएगी।
हैप्पी सीडर
भारत के उत्तरी हिस्सों में, धान की कटाई के बाद तुरंत गेहूं की बुवाई की जाती है। किसानों को अक्सर धान कटाई और गेहूं बुवाई के बीच बहुत कम समय मिलता है। अगर खेत को अधिक समय तक खाली छोड़ दिया जाए, तो बाद में गहरी जुताई और पलेवा लगाने की आवश्यकता पड़ती है, जिससे खेती की लागत बढ़ जाती है। ऐसे में, वैज्ञानिकों ने किसानों की इस दुविधा को हल करने के लिए “हैप्पी सीडर” नामक मशीन और “ज़ीरो टिलेज” तकनीक विकसित की है।
कैसे काम करता है हैप्पी सीडर?
हैप्पी सीडर मशीन साधारण सीड ड्रिल की तरह काम करता है, लेकिन इसमें एक खासियत है—इसमें लगे ब्लेड केवल आधा इंच की गहराई तक खेत की जुताई करते हैं। यह मशीन धान के बचे हुए डंठलों के बीच में गेहूं की बुवाई करने में सक्षम होती है
डीजल और बीज की बचत
परंपरागत विधि में जहां प्रति एकड़ 52 किलो बीज की आवश्यकता होती है, वहीं हैप्पी सीडर से बुवाई करने पर केवल 40 किलो बीज की ही जरूरत पड़ती है। इसके अलावा, प्रति हेक्टेयर 40 लीटर तक डीजल की भी बचत की जा सकती है। इसमें सिंचाई की भी आवश्यकता नहीं होती है। धान की खेती के दौरान खेत में बनी नमी का उपयोग गेहूं की बुवाई में किया जा सकता है। इससे पानी की बचत होती है और किसानों को अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती। हैप्पी सीडर मशीन से गेहूं बोने के दौरान धान की पराली को नहीं निकाला जाता है। पराली खेत में सड़कर उर्वरक में बदल जाती है, जिससे गेहूं के पौधों को पोषण मिलता है और खेत की उर्वरता भी बरकरार रहती है।